ऋषिकेश के पास मणिकूट पर्वत पर नीलकंठ महादेव मंदिर का नाम न लें ऐसा तो हो ही नहीं सकता। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकलें विष का पान Shiva ने इसी स्थान पर किया था। विष पीने के बाद महादेव का गला नीला पड़ जाने के कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया। वैसे तो साल भर लोगों का यहां पर आना-जाना लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि के समयमें यहां भीड़ देखते ही बनती है।
भगवान Shiva ने किया था विष पान
मान्यताओं के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि Shiva ने जैसे ही विष ग्रहण किया तुरंत माता पार्वती ने उनका गला दबा लिया, ताकि विष उनके पेट तक न पहुंच सकें। फलस्वरुप विष उनके गले तक ही रहा। विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ का नाम दिया गया। मंदिर जाने से पहले श्रद्धालु पास स्थित एक झरने में नहाकर खुद को शुद्ध करते हैं। नीलकंठ महादेव उत्तर भारत के मुख्य शिवमंदिरों में से एक है।
नीलकंठ महादेव मंदिर की वस्तु कला अत्यंत ही सुंदर है इस Shiva मंदिर का मुख द्वारा है जो जटिल नकाशी और मूर्तियों से सुसज्जित है प्रवेश द्वार पर अनेक प्रकार के देवी देवताओं का चित्रण है मंदिर के शिखर ताल पर समुद्र मंथन के नजरों को दिखाया गया है मंदिर के गर्भ गिरी पर एक बड़ी मूर्ति में भगवान शिव को विषम करते हुए दिखाया गया है नीलकंठ महादेव मंदिर आध्यात्मिक और कल का सबसे खास प्रतीक मानाजाता है।